हिंदी व्याकरण में संधि (दो वर्णों के आपस में मिलने के नियम) एक महत्वपूर्ण अध्याय है। संधि के अंतर्गत कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं जिनसे शब्दों का रूप बदल जाता है। इन्हीं परिवर्तनों में एक महत्वपूर्ण स्थान अयोगवाह का है। कई छात्र अयोगवाह को केवल “अनुस्वार और विसर्ग का परिवर्तन” समझ लेते हैं, पर वास्तव में अयोगवाह एक विस्तृत ध्वनि-सम्बंधित प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से उच्चारण को सहज, सरल और प्रवाहपूर्ण बनाया जाता है।
इस पाठ में हम समझेंगे —
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अयोगवाह क्या है?
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अयोगवाह के प्रकार
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नियम
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उदाहरण
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अभ्यास प्रश्न
यह पूरा पाठ कक्षा 6 से 10 तक के छात्रों के लिए उपयोगी है।
अयोगवाह की परिभाषा
वह प्रक्रिया जिसमें किसी शब्द के अंत में आने वाले अनुस्वार (ं), अनुनासिक (ँ), विसर्ग (ः), रेफ आदि ध्वनियाँ दूसरे वर्ण के संपर्क में आने पर अपने मूल रूप से बदल जाती हैं, उसे अयोगवाह कहते हैं।
सरल शब्दों में —
दो शब्दों के मिलने से कुछ ध्वनियाँ सहज उच्चारण के लिए बदल जाती हैं; यही परिवर्तन अयोगवाह कहलाता है।
उदाहरण:
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राम + उपदेश → रामोपदेश
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फल + वृक्ष → फलवृक्ष
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तत् + जन → तज्जन
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मन + कर → मंगर (प्रयोगगत, बोलचाल में)
उपरोक्त सभी स्थानों पर ध्वनियाँ बदलकर एक नया रूप बना रही हैं।
अयोगवाह का मुख्य उद्देश्य
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उच्चारण को सरल बनाना
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शब्दों को बोलने में प्रवाह पैदा करना
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कठिन ध्वनि संयोजन को सुगम करना
यदि अयोगवाह न हो तो भाषा बोलने में कठिनाई होती। उदाहरण—
“तत् + क्रम”
अगर बदलकर “तत्क्रम” न बने तो “तत् क्रम” बोला नहीं जा सकेगा।
अयोगवाह के प्रमुख प्रकार
व्याकरण में अयोगवाह को तीन मुख्य वर्गों में बाँटा जाता है —
- अनुस्वारजन्य अयोगवाह (अनुस्वार का परिवर्तन)
- विसर्गजन्य अयोगवाह (विसर्ग का परिवर्तन)
- व्यंजनजन्य अयोगवाह (व्यंजनों का परस्पर बदलना)
अब तीनों को विस्तार से समझते हैं—
अनुस्वारजन्य अयोगवाह
अनुस्वार (ं) अगले वर्ण के आधार पर अपने रूप बदलता है। इसका नियम “पंचवर्ग” के आधार पर चलता है —
क-वर्ग, च-वर्ग, ट-वर्ग, त-वर्ग, प-वर्ग।
1. क-वर्ग (क ख ग घ ङ) से पहले अनुस्वार = ङ (णुस्वार स्थानिक ध्वनि)
उदाहरण:
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अंक → अङ्क
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संग + कार → सङ्गकार
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गंगा → गङ्गा
लेकिन व्यवहार में हम इसे सिर्फ “ं” के रूप में लिखते हैं।
2. च-वर्ग (च छ ज झ ञ) से पहले अनुस्वार = ञ
उदाहरण:
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पंच + जन्य → पञ्जन्य
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संज्ञा → सञ्ज्ञा
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अंचल → अञ्जल रूप
3. ट-वर्ग से पहले अनुस्वार = ण
उदाहरण:
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सं + टाप → सण्टाप
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पाणि + टोप → पाṇ्टोप (सांस्कृत)
4. त-वर्ग से पहले अनुस्वार = न
उदाहरण:
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संत → सन्त
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अंत → अन्त
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संतान → सन्तान
5. प-वर्ग से पहले अनुस्वार = म
उदाहरण:
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संपत्ति → सम्पत्ति
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संप्रदाय → सम्प्रदाय
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संपर्क → सम्पर्क
ये सभी अनुस्वारजन्य अयोगवाह के मुख्य रूप हैं।
विसर्गजन्य अयोगवाह (Visarga Sandhi)
विसर्ग (ः) भी अगले वर्ण के अनुसार बदल जाता है।
1. विसर्ग + क, ख, प, फ = समान व्यंजन का रूप
उदाहरण:
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लोकः + कार्यम् → लोकोकार्यम्
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दुः + ख → दु:ख → दुख (ख के कारण विसर्ग ‘ख’ में परिवर्तित)
2. विसर्ग + श, ष, स = स
उदाहरण:
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दुः + शील → दुशील
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मनः + शांति → मनशांति
3. विसर्ग + स्वर = ओ / अः → ओ/औ ध्वनि
उदाहरण:
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रामः + इति → रामोऽति
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हरिः + अर्पण → हर्योर्पण
अधिकतर हिंदी में विसर्ग लुप्त होकर ओ की ध्वनि बन जाता है।
व्यंजनजन्य अयोगवाह
यह वह अयोगवाह है जिसमें दो व्यंजन मिलने पर किसी एक व्यंजन का रूप बदल जाता है या दोनों के मेल से एक नया रूप बनता है।
1. त् + ज = ज्ज / तज्ज
उदाहरण:
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तत् + जन → तज्जन
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तत् + जीव → तज्जीव
2. द् + ध = द्ध
उदाहरण:
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विद् + ध →िद्ध
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बुद्ध (बुध + ध)
3. द्त → त्त (वर्ण सरल बनता है)
उदाहरण:
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सिद्धान्त (सिद्ध + अन्त → सिद्धान्त)
4. स + त → स्त
उदाहरण:
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सम + ता → समता → स्त्र, स्तन जैसे शब्द इसी मेल से बने हैं।
अयोगवाह न होने पर वाक्य कठिन क्यों होता है?
यदि अयोगवाह का प्रयोग न हो, तो उच्चारण अत्यंत कठिन हो जाएगा।
उदाहरण —
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“सम्पर्क” यदि “सं + पर्क” बोले जाए → असहज
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“तज्जन” यदि “तत् जन” कहा जाए → असुंदर
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“दुःख” यदि “दु: ख” (दो ध्वनियों में) कहा जाए → कठिन
इसलिए अयोगवाह भाषा को स्वाभाविक और प्रवाहपूर्ण बनाता है।
अयोगवाह से बने कुछ सामान्य शब्द
| शब्द | मूल रूप |
|---|---|
| संपर्क | सं + पर्क |
| संपत्ति | सं + पत्ति |
| संबंध | सं + बन्ध |
| दुष्कर्म | दुः + कर्म |
| तज्ज्ञ | तत् + ज्ञ |
| फलवृक्ष | फल + वृक्ष |
| रामोपदेश | राम + उपदेश |
| जगद्धात्री | जगत् + धात्री |
अयोगवाह की पहचान कैसे करें? (सरल विधि)
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दो शब्दों का जोड़ देखें।
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देखें कि पहला शब्द किस ध्वनि पर समाप्त हुआ → अनुस्वार/विसर्ग/व्यंजन
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दूसरा शब्द किस वर्ण से शुरू हो रहा है।
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यदि उच्चारण कठिन लगता है तो अवश्य ही वहाँ अयोगवाह लागू हुआ है।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1 — नीचे दिए शब्दों में अयोगवाह पहचानकर मूल रूप लिखिए:
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सम्पूर्ण
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तज्जन
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दुष्प्रभाव
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संग्राहक
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बुद्धि
प्रश्न 2 — अयोगवाह के प्रकार बताकर उदाहरण दीजिए।
प्रश्न 3 — निम्न शब्दों को जोड़कर अयोगवाह परिवर्तन कीजिए:
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सं + पाद
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सं + कृति
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तत् + ज्ञान
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दुः + फल
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मनः + शांति
कक्षा 6 से 10: अयोगवाह वर्कशीट और प्रश्न-उत्तर हिंदी में






