If in any Roman Hindi or English-transliterated word, the letter “R” appears after a consonant (such as k, g, t, d, p, etc.), then in the corresponding Hindi word, the sound represents “र्” (Ref) — the half “Ra” form used before a consonant.
हिन्दी भाषा में ‘र’ वर्ण का बहुत महत्त्व है। यह न केवल एक व्यंजन है, बल्कि यह अपने रूप और प्रयोग के कारण शब्दों के अर्थ और उच्चारण दोनों को प्रभावित करता है। ‘र’ का प्रयोग विभिन्न रूपों में होता है – जैसे रेफ, पदेन, ऋ, रु, रू और रकार। इस लेख में हम विशेष रूप से “रेफ (र्)” और “पदेन (क्र, ट्र, ह्र आदि)” के बारे में विस्तार से और सरल भाषा में समझेंगे।
रेफ ‘र्’ क्या होता है?
रेफ ‘र’ का वह रूप है जो किसी शब्द के बीच में या अंत में आता है, परंतु शब्द की शुरुआत में नहीं आता। रेफ को “स्वर रहित आधा र” भी कहा जाता है। इसका चिन्ह (र्) इस तरह ऊपर की ओर हल्की सी रेखा बनाकर लिखा जाता है। जब किसी शब्द में ‘र’ का आधा रूप किसी अन्य व्यंजन से पहले प्रयोग होता है, तब वह “रेफ” कहलाता है।
उदाहरण:
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पर्वत = प + र् + व + त
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धर्म = ध + र् + म
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गर्जन = ग + र् + जन
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आशीर्वाद = आ + शी + र् + वाद
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कार्य = का + र् + य
इन शब्दों में आप देख सकते हैं कि ‘र्’ का उच्चारण उस व्यंजन से पहले किया जाता है, जिसके ऊपर रेफ लगता है।
रेफ की मुख्य विशेषताएँ:
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रेफ शब्द के पहले अक्षर में कभी नहीं आता।
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यह स्वर रहित रूप है।
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यह किसी व्यंजन के ऊपर लगकर उसका उच्चारण “र” के साथ करवाता है।
-
रेफ से बने शब्दों का उच्चारण हल्का और प्रवाहपूर्ण होता है।
रेफ ‘र्’ वाले शब्दों के उदाहरण:
| शब्द | शब्द | शब्द | शब्द |
|---|---|---|---|
| अर्जुन (Arjun) | पर्वत (Parvat) | धर्म (Dharm) | अर्थ (Arth) |
| गर्जना (Garjana) | अर्चना (Archana) | मिर्च (Mirch) | वर्ग (Varg) |
| तर्क (Tark) | हर्ष (Harsh) | चर्खा (Charkha) | वर्षा (Varsha) |
| कुर्ता (Kurta) | दर्द (Dard) | दर्शक (Darshak) | मूर्ख (Murkha) |
| अर्जित (Arjit) | पर्व (Parv) | हर्षित (Harshit) | स्वार्थ (Swarth) |
इन सभी शब्दों में आप देख सकते हैं कि ‘र्’ का प्रयोग किसी अन्य व्यंजन के साथ होकर नए शब्द का निर्माण करता है।
रेफ के प्रयोग के नियम:
-
रेफ केवल आधे “र्” के रूप में लिखा जाता है।
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इसे हमेशा किसी अन्य वर्ण के ऊपर लगाया जाता है।
-
रेफ का प्रयोग लेखन में तो छोटा दिखता है, लेकिन उच्चारण में पहले किया जाता है।
-
रेफ वाले शब्दों में “र” का प्रभाव अगले वर्ण पर पड़ता है।
उदाहरण:
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प + र् + त = पर्त
-
क + र् + त = कर्त
-
म + र् + त = मर्त
समझिए सरल भाषा में:
अगर किसी अंग्रेज़ी शब्द (Roman Hindi) में “R” किसी consonant (जैसे k, g, t, d, p आदि) के बाद आया हो —
तो उस हिन्दी शब्द में “र्” यानी रेफ का प्रयोग हुआ है।
📘 उदाहरण:
| English Form | Hindi Word | ‘R’ की स्थिति | प्रकार |
|---|---|---|---|
| Arjun | अर्जुन | R → ‘j’ से पहले | रेफ (र्) |
| Parvat | पर्वत | R → ‘v’ से पहले | रेफ (र्) |
| Dharm | धर्म | R → ‘m’ से पहले | रेफ (र्) |
| Arth | अर्थ | R → ‘t’ से पहले | रेफ (र्) |
| Garjana | गर्जना | R → ‘j’ से पहले | रेफ (र्) |
| Archana | अर्चना | R → ‘ch’ से पहले | रेफ (र्) |
| Mirch | मिर्च | R → ‘ch’ से पहले | रेफ (र्) |
| Varg | वर्ग | R → ‘g’ से पहले | रेफ (र्) |
| Tark | तर्क | R → ‘k’ से पहले | रेफ (र्) |
| Harsh | हर्ष | R → ‘sh’ से पहले | रेफ (र्) |
| Charkha | चर्खा | R → ‘kh’ से पहले | रेफ (र्) |
| Varsha | वर्षा | R → ‘sh’ से पहले | रेफ (र्) |
| Kurta | कुर्ता | R → ‘t’ से पहले | रेफ (र्) |
| Dard | दर्द | R → ‘d’ से पहले | रेफ (र्) |
| Darshak | दर्शक | R → ‘sh’ से पहले | रेफ (र्) |
| Murkh | मूर्ख | R → ‘kh’ से पहले | रेफ (र्) |
| Arjit | अर्जित | R → ‘j’ से पहले | रेफ (र्) |
| Parv | पर्व | R → ‘v’ से पहले | रेफ (र्) |
| Harshit | हर्षित | R → ‘sh’ से पहले | रेफ (र्) |
| Swarth | स्वार्थ | R → ‘th’ से पहले | रेफ (र्) |
📝 अभ्यास प्रश्न (MCQs) – रेफ ‘र्’ पर आधारित
प्रश्न 1: रेफ का प्रयोग कहाँ नहीं किया जा सकता?
A) शब्द के अंत में
B) शब्द के आरंभ में
C) शब्द के मध्य में
D) सभी स्थानों पर
उत्तर: B) शब्द के आरंभ में
प्रश्न 2: ‘रेफ’ का अर्थ क्या है?
A) पूरा र वर्ण
B) आधा र वर्ण जो स्वर रहित हो
C) स्वर युक्त र
D) केवल स्वर
उत्तर: B) आधा र वर्ण जो स्वर रहित हो
प्रश्न 3: “पर्वत” शब्द में ‘र’ का कौन सा रूप प्रयोग हुआ है?
A) पदेन
B) रेफ
C) रकार
D) ऋ
उत्तर: B) रेफ
प्रश्न 4: निम्न में से किस शब्द में रेफ नहीं है?
A) धर्म
B) अर्जुन
C) क्रम
D) पर्वत
उत्तर: C) क्रम
प्रश्न 5: रेफ के साथ कौन-सा नियम सही है?
A) रेफ व्यंजन के नीचे लगता है
B) रेफ स्वर के पहले आता है
C) रेफ व्यंजन के ऊपर लगता है
D) रेफ शब्द के अंत में ही आता है
उत्तर: C) रेफ व्यंजन के ऊपर लगता है
पदेन ‘र’ क्या होता है?
‘र’ का दूसरा महत्त्वपूर्ण रूप है “पदेन र”। जब किसी शब्द में ‘र’ वर्ण के पूर्व कोई आधा व्यंजन आता है, तब ‘र’ का स्वरूप बदलकर उसी आधे वर्ण के नीचे तिरछी रेखा के रूप में लिखा जाता है। ‘र’ का यह रूप “पदेन र” कहलाता है।
यह रूप “क्र, ट्र, ह्र, द्र, श्र, त्र, ड्र” जैसे संयुक्त वर्णों में देखा जाता है।
पदेन र के दो प्रकार:
1️⃣ पाई (।) वाले व्यंजन में पदेन:
ऐसे व्यंजन जिनमें सीधी खड़ी रेखा (।) होती है, जैसे – क, ख, ग, प, म आदि।
इनमें र का रूप नीचे तिरछी रेखा के रूप में आता है —
उदाहरण:
क् + र = क्र
प् + र = प्र
म् + र = म्र
👉 शब्द उदाहरण:
क्रम, प्रेम, ग्रह, प्रार्थना, अमृत, मृदु, म्रदुल।
2️⃣ पाई रहित व्यंजन में पदेन:
ऐसे व्यंजन जिनमें सीधी रेखा नहीं होती, जैसे – ट, ठ, ड, ढ।
इनके नीचे र का रूप इस चिन्ह (^) की तरह लिखा जाता है।
👉 उदाहरण:
ट् + र = ट्र → ट्रक, ट्राम, ट्रस्ट
ड् + र = ड्र → ड्रामा, ड्राइवर, ड्रम
पदेन र के विशेष रूप:
‘र’ का पदेन रूप केवल क या प में ही नहीं लगता, बल्कि अन्य वर्णों में भी मिलता है —
✳️ द + र = द्र → द्रौपदी, दरिद्र
✳️ त + र = त्र → त्रिकोण, तंत्र, मंत्र
✳️ ह + र = ह्र → ह्रदय, ह्रास
✳️ श + र = श्र → श्रम, श्रवण, श्री
इन सब रूपों में ‘र’ पूर्ण वर्ण के रूप में प्रयुक्त होता है।
पदेन ‘र’ के शब्दों के उदाहरण:
| शब्द | शब्द | शब्द | शब्द |
|---|---|---|---|
| क्रम (Kram) | प्रेम (Prem) | ग्रह (Grah) | प्रार्थना (Prarthna) |
| ट्रक (Truck) | ट्रस्ट (Trust) | राष्ट्र (Rashtra) | ड्रम (Drum) |
| द्रव (Drav) | द्रौपदी (Dropadi) | ह्रदय (Hraday) | ह्रास (Hrash) |
| त्रिकोण (Trikon) | तंत्र (Tantra) | श्रम (Shram) | श्रवण (Shravan) |
| त्रिशूल (Trishool) | मंत्र (Mantra) | प्रजापति (Prajapati) | प्रक्रिया (Prakriya) |
पदेन र के प्रयोग के नियम:
-
पदेन र किसी व्यंजन के बाद लगता है।
-
यह नीचे की ओर झुकी हुई तिरछी रेखा में आता है।
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यह पूर्ण ‘र’ का रूप होता है, जिसमें स्वर शामिल होता है।
-
यह शब्द की सुंदरता और उच्चारण को सुगम बनाता है।
-
एक ही शब्द में दो बार पदेन र का प्रयोग भी संभव है।
उदाहरण: प्रक्रम, प्रक्रिया
कभी-कभी पदेन और रेफ एक ही शब्द में आते हैं, जैसे – आर्द्रता, प्रकार्य।
पदेन र का महत्व:
हिन्दी और संस्कृत शब्दों में पदेन र के बिना कई शब्दों का उच्चारण सही नहीं हो सकता।
उदाहरण के लिए –
-
“क्रिया” अगर पदेन र के बिना लिखा जाए (किया), तो उसका अर्थ पूरी तरह बदल जाता है।
-
“प्रेम” और “पेम” में भी यही अंतर है।
इसलिए पदेन र सही उच्चारण और शुद्ध लेखन दोनों के लिए आवश्यक है।
📝 अभ्यास प्रश्न (MCQs) – पदेन ‘र’ पर आधारित
प्रश्न 1: “क्र” किस प्रकार का ‘र’ है?
A) रेफ
B) पदेन
C) रकार
D) ऋ
उत्तर: B) पदेन
प्रश्न 2: “ट्रक” शब्द में ‘र’ का कौन सा रूप है?
A) रेफ
B) पदेन
C) आधा र
D) ऋ
उत्तर: B) पदेन
प्रश्न 3: “त्रिशूल” शब्द में कौन-सा ‘र’ रूप है?
A) ह्र
B) त्र
C) श्र
D) क्र
उत्तर: B) त्र
प्रश्न 4: पदेन ‘र’ कहाँ लिखा जाता है?
A) व्यंजन के ऊपर
B) व्यंजन के नीचे
C) शब्द के पहले
D) शब्द के अंत में
उत्तर: B) व्यंजन के नीचे
प्रश्न 5: पदेन र का प्रयोग किन व्यंजनों में होता है?
A) केवल क, ख, ग में
B) केवल ट, ड में
C) जिनमें पाई (।) या बिना पाई दोनों प्रकार के व्यंजन हों
D) केवल स्वर में
उत्तर: C) जिनमें पाई (।) या बिना पाई दोनों प्रकार के व्यंजन हों
रकार की परिभाषा (Rakar Definition in Simple Hindi):
जब किसी व्यंजन वर्ण के साथ ‘र’ जुड़ जाता है और उससे एक नया संयुक्त अक्षर (संयुक्त वर्ण) बनता है,
तो उस अक्षर को “रकार” (Rakar) कहा जाता है।
अर्थात —
जब ‘र’ किसी अक्षर में शामिल होकर उसके साथ एक ही रूप में लिखा जाता है, तो वह रकार कहलाता है।
सरल शब्दों में समझें:
‘र’ को जब किसी अन्य व्यंजन के साथ मिलाया जाता है,
तो वह तिरछी रेखा के रूप में नीचे लिखा जाता है —
इसी रूप से बनने वाले अक्षर को रकार कहा जाता है।
रकार के उदाहरण:
| रकार रूप | उदाहरण शब्द |
|---|---|
| क्र | क्रम, क्रिया, क्रोध |
| प्र | प्रेम, प्रार्थना, प्रमाण |
| त्र | त्रिशूल, त्रिकोण, मंत्र |
| द्र | द्रव, द्रौपदी, दरिद्र |
| श्र | श्रम, श्रवण, श्री |
| ह्र | ह्रदय, ह्रास |
| ट्र | ट्रक, ट्रस्ट, ट्राम |
| ड्र | ड्रामा, ड्राइवर, ड्रम |
संक्षेप में याद रखें:
👉 जब ‘र’ किसी व्यंजन के साथ जुड़कर नया रूप बनाता है,
तो उसे रकार कहा जाता है।
🟢 उदाहरण:
क् + र = क्र (क्रम)
प् + र = प्र (प्रेम)
त् + र = त्र (त्रिकोण)
श् + र = श्र (श्रवण)
एक पंक्ति में परिभाषा:
“जब किसी व्यंजन वर्ण के साथ र जुड़कर नया संयुक्त अक्षर बनाता है, तो उसे रकार कहा जाता है।”
ऋ (Ri)की मात्रा ( ृ ):
‘ऋ’ हिन्दी और संस्कृत का एक स्वर वर्ण है।
इसका उच्चारण “रि” की तरह होता है, लेकिन यह वास्तव में एक स्वर (vowel) है, व्यंजन नहीं।
यह ध्वनि गले के अंदर से निकलती है और जीभ हल्की ऊपर की ओर जाती है।
‘ऋ’ कैसे बनता है:
👉 जब किसी व्यंजन (Consonant) के साथ ‘र’ (R) और ‘इ’ (i) की ध्वनि मिलती है,
तो वह मिलकर “ऋ” बनाता है।
इसे ऐसे समझें:
व्यंजन + र + इ = ऋ
उदाहरण:
| संयोजन (Combination) | परिणाम (Result) | उदाहरण शब्द |
|---|---|---|
| ग + र + इ | गृ | गृह (घर) |
| ह + र + इ | हृ | हृदय (दिल) |
| प + र + इ | पृ | पृथ्वी (धरती) |
| क + र + इ | कृ | कृपा (दया) |
| व + र + इ | वृ | वृक्ष (पेड़) |
| म + र + इ | मृ | मृग (हिरण) |
ऋ की मात्रा वाले कुछ प्रसिद्ध शब्द:
| शब्द | अर्थ |
|---|---|
| ऋषि | मुनि, साधु |
| हृदय | दिल |
| कृपा | दया |
| गृह | घर |
| वृक्ष | पेड़ |
| पृष्ठ | पन्ना |
| पृथ्वी | धरती |
| अमृत | अमरता देने वाला रस |
| मृग | हिरण |
| मृत्यु | जीवन का अंत |
संक्षेप में याद रखें:
🔸 “ऋ” = व्यंजन + र + इ की ध्वनि का योग है।
🔸 जब किसी व्यंजन के साथ “ृ” मात्रा लगती है, तो वह “ऋ” की तरह बोला जाता है।
🔸 उदाहरण: गृ (ग + र + इ), हृ (ह + र + इ), पृ (प + र + इ)।






